रामेश्वरम् मंदिर का इतिहास:
रामेश्वरम् मंदिर इसे रामनाथस्वामी मंदिर – के नाम से भी जाना जाता हैं। यह भगवान शिव का एक हिन्दू मंदिर है जो भारत में तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम् द्वीप पर स्थापित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से भी यह एक है।
यह मंदिर भारत के प्रमुख्य तीर्थ स्थानों में से एक है। पहले यहापर मराठा शासको ने शासन किया था और फिर छत्रं का निर्माण भी रामेश्वरम में किया गया था।
इस मंदिर के विकास में हिन्दू शासकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनके योगदान और दान के बदौलत ही मंदिर का विकास हो पाया था।
कहा जाता है की वर्तमान समय के आकार के मंदिर को 17 वी शताब्दी में बनवाया गया था। जानकारों के अनुसार राजा किजहावन सेठुपति या रघुनाथ किलावन ने इस मंदिर के निर्माण कार्य की आज्ञा दी थी। मंदिर के निर्माण में सेठुपति साम्राज्य के जफ्फना राजा का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।
राजा जेयावीरा किन्कैअरियन (1380-1410 CE) ने त्रिंकोमली के कोनेश्वरम मंदिर से पत्थरो को रामेश्वरम के पवित्र स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए भेजा था। इसके बाद जेयावीरा किन्कैअरियन के उत्तराधिकारी गुणवीरा किन्कैअरियन रामेश्वरम के ट्रस्टी थी और मंदिर के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
रामनाथ स्वामी मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां स्थित अग्नि तीर्थम में जो भी श्रद्धालु स्नान करते है उनके सारे पाप धुल जाते हैं। इस तीर्थम से निकलने वाले पानी को चमत्कारिक गुणों से युक्त माना जाता है।
कहा जाता है कि इस पानी में नहाने के बाद सभी रोग−कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा इस मंदिर के परिसर में 22 कुंड है जिसमें श्रद्धालु पूजा से पहले स्नान करते हैं। हालांकि ऐसा करना अनिवार्य नहीं है।
यह 274 पादल पत्र स्थलम् में से एक है, जहाँ तीनो श्रद्धेय नारायण अप्पर, सुन्दरर और तिरुग्नना सम्बंदर ने अपने गीतों से मंदिर को जागृत किया था। इसके बाद 12 वी शताब्दी में पंड्या साम्राज्य ने इस मंदिर का विस्तार किया था और मंदिर के गर्भगृह को जफ्फना साम्राज्य के जेयावीरा किन्कैअरियन और उनके उत्तराधिकारी गुणवीरा किन्कैअरियन ने पुनर्निर्मित करवाया था।
भारत में निर्मित सभी हिन्दू मंदिरों में तुलना में इस मंदिर का गलियारा सबसे बड़ा है। यह मंदिर भारत के रामेश्वरम में स्थापित है, जो शैव, वैष्णव और समर्थ लोगो के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है। कहा जाता है की रामायण युग में भगवान राम द्वारा शिवजी की पूजा अर्चना कर ही रामानाथस्वामी (शिवजी) के शिवलिंग को स्थापित किया गया था।
भारत के तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम द्वीप पर और इसके आस-पास कुल मिलाकर 64 तीर्थ है। स्कंद पुराण के अनुसार, इनमे से 24 ही महत्वपूर्ण तीर्थ है। रामेश्वरम के इन तीर्थो में नहाना काफी शुभ माना जाता है और इन तीर्थो को भी प्राचीन समय से काफी प्रसिद्ध माना गया है।
इनमे से 22 तीर्थ तो केवल रामानाथस्वामी मंदिर के भीतर ही है। 22 संख्या को भगवान की 22 तीर तरकशो के समान माना गया है। मंदिर के पहले और सबसे मुख्य तीर्थ को अग्नि तीर्थं नाम दिया गया है।
इनमे से 22 तीर्थ तो केवल रामानाथस्वामी मंदिर के भीतर ही है। 22 संख्या को भगवान की 22 तीर तरकशो के समान माना गया है। मंदिर के पहले और सबसे मुख्य तीर्थ को अग्नि तीर्थं नाम दिया गया है।
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