मंत्रालयम - आंध्रप्रदेश धार्मीक पर्यटन स्थल - Heritage my India

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Friday, August 3, 2018

मंत्रालयम - आंध्रप्रदेश धार्मीक पर्यटन स्थल

श्री गुरु राघवेन्द्र स्वामी मंदिर :- 
मंत्रालयम का श्री गुरु राघवेन्द्र स्वामी मंदिर इस क्षेत्र के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। गुरु को भक्त प्रह्लाद, भगवान विष्णु के परम भक्त, का अवतार माना जाता है। भगवान विष्णु नें नरसिंह का रूप धारण करके प्रहलाद के राक्षस पिता को मारकर पिता के क्रूर इरादों से अपने भक्त की रक्षा की थी। श्री गुरु राघवेंद्र स्वामी नें मंत्रालयम को वृन्दावन बनाने के लिए चुना था। यग मंदिर गुरु के हजारों भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है तथा वे प्रतिवर्ष गुरू जयंती के अवसर पर इस मंदिर में आते हैं। जयंती के दिन, मंदिर आगंतुकों की गतिविधियों की हलचल से गुलजार रहता है,क्योंकि यह मौका उन हजारों श्रद्धालुओं के लिए एक खुशियां मनाने का दिन होता है। यह उत्सव दो दिन तक जारी रहता है। ऐसी मान्यता है कि गुरू अभी भी वृन्दावन में रहते हैं तथा स्वंय गुरू के अनुसार, वह अगले 361 वर्षों के लिए भी इस जगह रहना जारी रखेंगे। 
पंचमुखी अन्जानेय मंदिर :-
मुखी अन्जानेय मंदिर मंत्रालयम शहर से लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित है। मंदिर के अधिष्ठात्री देवता की मूर्ति भगवान अन्जानेय या भगवान हनुमान की है। यहाँ स्थित मूर्ति में पांच सिर है, प्रत्येक एक अलग देवता अर्थात् भगवान गरूड़, भगवान नरसिंह, प्रभु हयाग्रीव, भगवान हनुमान और भगवान वराह का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसा माना जाता है कि श्री गुरु राघवेंद्र, भगवान राम और भगवान हनुमान के प्रबल भक्त थे। उन्होनें बारह साल तक कड़ी तपस्या की, और भगवान हनुमान नें उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिये थे। हनुमान जी ने पंचमुखी अन्जानेय के अवतार में उन्हें दर्शन दिये थे। मंदिर आने का एक मुख्य कारण इस स्थान का सौंदर्य प्राकृतिक छटा है, जो पर्यटकों को यहां आने को विवश करती है। मंदिर को एक चट्टानी लेकिन सुंदर और शांत इलाके के बीच बनाया गया है। वास्तव में, मंदिर आते समय रास्ते में आपको बेड, तकिया, तथा देवताओं के उड़न खटोले जैसी संरचनाएं देखने को मिलेंगी।

बिक्षालय :-
बिक्षालय, मंत्रालयम से लगभग 20 किमी दूर स्थित है और स्थानीय भाषा में बिचाली के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान एक ऐसे स्थान के रूप में जाना जाता है, जहां श्री अप्पनाचार्य ने अपना अधिकांश जीवन व्यतीत किया। श्री अप्पनाचार्य, गुरू राघवेन्द्र के पक्के भक्त होने के साथ-साथ उनके विधार्थी भी थे। यह भी एक ज्ञात तथ्य है कि गुरू राघवेन्द्र स्वामी 13 साल तक श्री अप्पराचार्य के साथ बिक्षालय में रहे थे। बिक्षालय, तुंगभद्रा नदी के किनारे है और इसलिए प्राकृतिक सुंदरता के मध्य स्थित होने की वजह से यह हरियाली शांतिपूर्ण वातावरण से युक्त है। आज बहुत सारे लोग यहां शहर के हलचल भरे जीवन से मुक्त होने के लिए यहां आते हैं। यह स्थान उन्हें ध्यान करने आत्मसाक्षात्कार करने के लिए शांत एवं शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है। बिक्षालय स्थानीय पर्यटकों के लिए भी उनके परिवार और प्रियजनों के साथ कुछ बेशकीमती पल बिताने के लिए एक पिकनिक स्थल के रूप में लोकप्रिय हो गया है। 

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